भोपाल से हटेगा अब जहरीला कचरा , यूनियन कार्बाइड का है वेस्ट
यूनिक नंबर वाले टाइटेनियम कंटेनर्स में पीथमपुर जाएगा यूका का कचरा
यूका परिसर में तैनात 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी
वैज्ञानिक तरीके से होगी कचरे की मॉनिटरिंग
2004 में दायर हुई थी याचिका,153 दिन लगेंगे जलाने में
भोपाल/सत्यम
भोपाल गैस त्रासदी के कलंक को 40 साल बाद अब साफ करने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। यूनियन कार्बाइड कारखाना के गोदाम में रखा 337 टन जहरीला कचरा हटाया जाना है। इसको लेकर शनिवार को पुलिस, प्रशासन और अलग-अलग विभागों की टीम यूका परिसर में पहुंचे। यहां पर अफसरों ने सिक्युरिटी प्रॉटोकॉल का जायजा लिया। ये तय किया गया कि यहां पर जितने भी अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है, उनको बिना आधार कार्ड दिखाए एंट्री नहीं दी जाएगी। यहां पर एक कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। यहीं से पूरे परिसर और उसके बाहरी हिस्से की मॉनीटरिंग की जाएगी। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके बाद देर रात से परिसर में पुलिसकर्मियों की तैनाती समेत बाकी तैयारियां शुरू हो गईं। रविवार तड़के तक 100 से ज्यादा पुलिस का बल तैनात कर दिया गया है। परिसर के आसपास बैरिकैडिंग की गई है। अलग-अलग एजेंसियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाईकोर्ट के निर्देश का सख्ती से पालन होगा, क्योंकि यहां से 12 ट्रकों के जरिए गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर के रामकी एनवायरो में ले जाया जाएगा। इसके साथ ही पीथमपुर से विशेषज्ञ और डॉक्टर्स की टीम पहुंच गई है। वहीं पीसीबी व सीपीसीबी की टीम की मौजूदगी में वैज्ञानिक तरीके से हर चीज की मॉनीटरिंग करते हुए यह कचरा हटाया जा रहा है। इस कचरे को जिस ट्रक के जरिए भेजा जाएगा, उनमें टाइटेनियम के कंटेनर होंगे। हर कंटेनर का एक यूनिक नंबर होगा। ये ट्रक जिस रूट से निकलेगा उसकी सूचना जिला प्रशासन को दे दी जाएगी। ट्रक की आवाजाही के समय ट्रैफिक को रोक दिया जाएगा। करीब 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनेगा। रामकी के विशेषज्ञों की निगरानी में कचरे की पैकिंग होगी।
भोपाल और इंदौर के डिवीजनल कमिश्नर जहरीला कचरा यूका से निकालने से लेकर पीथमपुर तक पहुंचाने की निगरानी करेंगे। ये ट्रक करोंद मंडी होते हुए पीपुल्स मॉल, करोंद चौराहा, गांधी नगर, मुबारकपुर, सीहोर नाका होते हुए इंदौर जाएंगे। यह रूट इसलिए चुना है क्योंकि रात के समय इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव कम रहता है। रात में ही इनको भेजा जाएगा। अगस्त 2004 में, भोपाल निवासी आलोक प्रताप सिंह ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर मांग कि थी कि विषैले कचरे को हटाएं और पर्यावरण को बचाया जाए। पीथमपुर की रामकी एनवायरो में 90 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से कचरे को जलाने में 153 दिन यानी 5 माह 1 दिन लगेगा। 270 किलोग्राम प्रति घंटे की स्पीड से नष्ट करते हैं तो इसे खत्म करने में 51 दिन का समय लगेगा।
जहरीले कचरे से मुक्ति की तैयारी